ताजिक की संसद का तर्क है कि महिलाओं के चेहरे को बुर्के से ढंकना 'ताजिक कल्चर' के खिलाफ है। उनके मुताबिक, ताजिक महिलाएं अब भी स्कार्फ पहन सकती हैं, लेकिन इससे उनका पूरा चेहरा, बाल और गर्दन नहीं ढकनी चाहिए।
ताजिक मीडिया ने बताया कि ताजिकिस्तान की मज़हबी मामलों की कमेटी के प्रमुख सुलेमान डोल्टज़ादेह ने बुर्के पर प्रतिबंध के कानून में संशोधन के बारे में बताया और कहा कि ये बदलाव समय के कारण किए गए हैं।
ताजिकिस्तान की अधिकांश आबादी मुस्लिम है और ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमाम अली रहमान मजहबी चरमपंथी सोच को रोकने के लिए कोशिश कर रहे हैं। 2015 में, उन्होंने एक भाषण में कहा था कि हिजाब पहनना हमारे लिए विदेशी संस्कृति की अंधी नकल है। ऐसे प्रतिबंधों और सख्ती से इस देश में चरमपंथ बढ़ता है।
जिक्रयोग है कि ताजिकिस्तान उबरता हुआ देश है, जो अब तेजी से कटरपंथी मुस्लिम सोच से आज़ाद हो रहा है। जिसमें वहां कि मुस्लिम औरतों का आगे आना मुख्य कारण है। ताजिकिस्तान के इस फैसले से एक बार फिर सिद्ध हो गया है कि मुस्लिम पुरषों की वहबी सोच को खत्म करने मुस्लिम महिलांए ही मुख्य भूमिका निभाएगी।
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